युवाओं में डॉक्टर बनने का
जबर्दस्त क्रेज देखा जाता है। यदि आप भी सीबीएसई की एआईपीएमटी परीक्षा के
माध्यम से डॉक्टर बनने के सपने को पूरा करना चाहते हैं, तो फिर हम आपको बता रहे
हैं इस परीक्षा में कामयाब होने का नुस्खा।
दुनिया में चिकित्सा की तमाम पद्धतियां लोकप्रिय हैं, लेकिन इनमें से जो पद्धति सबसे ज्यादा पॉपुलर है-वह है एलोपैथिक मेडिसिन। एलोपैथिक आधुनिक चिकित्सा प्रणाली है। यह चिकित्सा की सबसे वैज्ञानिक विधि है, जिसके अंतर्गत विभिन्न उपकरणों की सहायता से रोगी की जांच कर किसी परिणाम पर पहुंचा जाता है और उसके उपरान्त इलाज आरंभ किया जाता है। जरूरी होने पर आधुनिक उपकरणों की सहायता से सर्जरी यानी शल्य चिकित्सा की जाती है। इस विधि में दो तरह के डॉक्टर होते हैं-एक फिजिशियन और दूसरा सर्जन। फिजिशियन जहां रोग के बारे में विभिन्न दवाइयां लिखकर परामर्श देते हैं, वहीं सर्जन ऑपरेशन को अंजाम देते हैं।
भारत सहित दुनिया के तमाम देशों में युवाओं में डॉक्टर बनने का क्रेज है। एलोपैथिक डॉक्टर बनने के लिए बारहवीं-बॉयोलॉजी के बाद एमबीबीएस यानी बैचलर ऑफ मेडिसिन एवं बैचलर ऑफ सर्जरी की पढ़ाई करनी होती है। सामान्यत: एमबीबीएस का कोर्स साढ़े चार वर्ष की अवधि का होता है। इसके सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद अनिवार्य रूप से किसी मेडिकल कॉलेज में एक साल की इंटर्नशिप भी करनी होती है। इस तरह एमबीबीएस का कोर्स कुल साढ़े पांच साल में पूरा होता है। कोर्स सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद एमसीआई यानी मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा क्वालिफाइड डॉक्टर के रूप में एमबीबीएस की डिग्री प्रदान कर दी जाती है। इसके बाद स्टूडेंट चाहें, तो सीधे प्रैक्टिस आरंभ कर सकता है या फिर अपनी रुचि और योग्यता के अनुसार एमडी, एमएस के रूप में पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स तथा उसके बाद रिसर्च कर सकते हैं। रिसर्च करने के बाद वे किसी मेडिकल कॉलेज या रिसर्च संस्थान में प्रैक्टिस के साथ-साथ टीचिंग का काम भी कर सकते हैं।
मेडिकल में प्रवेश के लिए एंट्रेंस
एलोपैथिक चिकित्सा में एमबीबीएस में एडमिशन के लिए अखिल भारतीय स्तर और राज्य स्तर पर कई परीक्षाएं ली जाती हैं। आल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज यानी एम्स जैसे बड़े और ख्यातिप्राप्त संस्थान सीधे प्रवेश परीक्षा आयोजित करते हैं। वैसे, अखिल भारतीय स्तर पर सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन यानी सीबीएसई द्वारा हर साल आयोजित की जानी वाली एआईपीएमटी यानी आल इंडिया प्री-मेडिकल, प्री-डेंटल टेस्ट सबसे प्रमुख परीक्षा है। इसमें फिजिक्स, केमिस्ट्री तथा बॉयोलॉजी विषयों से बारहवीं उत्तीर्ण युवा सम्मिलित हो सकते हैं। जो युवा इस वर्ष बारहवीं की परीक्षा में शामिल हो रहे हैं, वे भी इसमें बैठ सकते हैं-लेकिन एंट्रेंस क्लियर करने के बाद एमबीबीएस में अंतिम रूप से प्रवेश तभी मिलेगा, जब वे बारहवीं उत्तीर्ण कर लेंगे। एआईपीएमटी के अलावा कुछ अन्य मेडिकल एंट्रेंस आयोजित करने वाले प्रमुख संस्थानों के नाम इस प्रकार हैं :
* आल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज
* उत्तर प्रदेश कम्बाइंड प्री-मेडिकल टेस्ट (सीपीएमटी)
* गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी-दिल्ली
* वर्धा मेडिकल कॉलेज-वर्धा, आम्र्ड फोर्स-पुणे।
एआईपीएमटी परीक्षा
सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) द्वारा एआईपीएमटी की प्रारंभिक या स्क्रीनिंग परीक्षा आमतौर पर अप्रैल माह में आयोजित की जाती है। इसे उत्तीर्ण करने के वाले स्टूडेंट्स ही फाइनल परीक्षा में बैठ सकते हैं। इसमें प्राप्त रैंकिंग के आधार पर अभ्यर्थियों को काउंसिलिंग के लिए आमंत्रित किया जाता है और उन्हें उनकी रैंकिंग के आधार पर कॉलेज अलॉट किए जाते हैं। इस परीक्षा में शामिल होने के लिए अभ्यर्थी को कम से कम 50 प्रतिशत अंकों के साथ बारहवीं उत्तीर्ण होना चाहिए।
इसके अलावा, उसे अंग्रेजी की भी जानकारी होनी चाहिए। इस परीक्षा में सम्मिलित हो रहे अभ्यर्थियों की अधिकतम उम्र 25 साल से अधिक नहीं होनी चाहिए। अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित उम्मीदवारों के लिए अधिकतम उम्र सीमा में पांच साल की छूट का प्रावधान है। हालांकि किसी भी वर्ग से संबंधित अभ्यर्थी एआईपीएमटी में केवल तीन बार ही सम्मिलित हो सकते हैं।
प्रवेश परीक्षा का स्वरूप
एआईपीएमटी के प्रीलिमिनरी एग्जामिनेशन में ऑब्जेक्टिव टाइप के लगभग 100 प्रश्न पूछे जाते हैं। यह परीक्षा कुल तीन घंटे की होती है और इसमें फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी पर आधारित प्रश्न पूछे जाएंगे। यह एक तरह से स्क्रीनिंग परीक्षा होती है, जिसका उद्देश्य बहुत भारी तादाद में सम्मिलित हुए अभ्यर्थियों में से अगंभीर स्टूडेंट्स की छंटनी करना होता है। इस परीक्षा में सर्वाधिक अंक पाने वाले और मेरिट में स्थान बनाने वाले अभ्यर्थियों को फाइनल परीक्षा में सम्मिलित होने का मौका मिलता है। फाइनल परीक्षा में दो-दो घंटे के दो प्रश्नपत्र होते हैं। पहले पेपर में फिजिक्स एवं केमिस्ट्री विषयों पर आधारित प्रश्न पूछे जाते हैं, जबकि दूसरे पेपर में बायोलॉजी (जूलॉजी एवं बॉटनी से भी) पर आधारित प्रश्न पूछे जाते हैं।
फंडामेंटल्स रखें क्लियर
चंूकि एआईपीएमटी के पेपर दसवीं और बारहवीं के सिलेबस पर ही आधरित होते हैं, इसलिए जिन स्टूडेंट्स ने अपने सिलेबस को अच्छी तरह से कवर किया होगा, उनके लिए यह परीक्षा कोई मुश्किल नहीं है। बारहवीं के तीनों विषयों के फंडामेंटल्स को अच्छी तरह समझें और उनके एप्लीकेशंस पर ध्यान दें।
सैंपल पेपर व अनसॉल्व्ड की लें मदद
बोर्ड परीक्षा खत्म होते ही एआईपीएमटी के पिछले वर्षों के प्रश्नों का गंभीरता से अवलोकन करें और उनकी प्रकृति को समझने की कोशिश करें। इससे आपकी तैयारी को सही दिशा मिल सकती है। इसके अलावा, अधिक से अधिक सैंपल पेपर को भी निर्धारित अवधि में हल करने का प्रयास करें। इसका मूल्यांकन कराएं और कमजोरियों को पहचान कर उन्हें दूर करने का प्रयत्न करें। आवश्यकता महसूस होने पर किसी अच्छे कोचिंग संस्थान से भी मार्गदर्शन हासिल कर सकते हैं। इससे आपको सही दिशा में तैयारी करने में मदद मिलेगी।
प्रैक्टिस करें ऑब्जेक्टिव प्रश्नों की
नई दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल और आरके हॉस्पिटल में वरिष्ठ कंसल्टेंट डॉ. के.बी. तिवारी (एमबीबीएस, डी आर्थो.) से बातचीत
एआईपीएमटी को उत्तीर्ण करने के लिए स्टूडेंट्स को क्या करना चाहिए?
एआईपीएमटी का बैकग्राउंड पूरी तरह से 102 के फंडामेंटल्स पर ही आधारित है। ऐसी स्थिति में इस बारहवीं के सिलेबस की बुनियादी बातों पर अपनी मजबूत पकड़ बनाएं। इसके अलावा, ऑब्जेक्टिव टेस्ट होने के कारण ऐसे प्रश्नों की जमकर प्रैक्टिस करनी चाहिए। पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों के आधार पर सिलेबस के उन हिस्सों की पहचान करें, जिससे ज्यादा प्रश्न पूछे जाते हैं।
एआईपीएमटी के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री एवं बायोलॉजी की तैयारी के लिए क्या मंत्र बताएंगे?
तैयारी के लिए कोई जादुई मंत्र नहीं है। इसके लिए स्टूडेंट को ही जमकर मेहनत करनी होगी और वह भी सही गाइडेंस के साथ सही दिशा में। मेरे ख्याल से फिजिक्स में ज्यादा से ज्यादा फार्मूले तैयार करने चाहिए। इसमें न्यूमेरिकल्स की एक किताब दस दिन में कम्पलीट कर लेनी चाहिए। केमिस्ट्री की तैयारी टेबलर फॉर्म में करें और उसे लगातार रिवाइज करते रहें। सामान्यतया बायोलॉजी के स्टूडेंट फिजिक्स के प्रति लापरवाही बरतते हैं, इससे उन्हें बचना चाहिए और फिजिक्स पर भी पूरा ध्यान देना चाहिए।
एमबीबीएस के बाद किसी खास फील्ड में स्पेशलाइजेशन एवं रिसर्च कितना महत्वपूर्ण होता है?
देखिए, अब सिंपल एमबीबीएस का जमाना नहीं है। अगर इस फील्ड में आगे निकलना है, तो एमबीबीएस करने के बाद अपनी रुचि के क्षेत्रों, जैसे-प्लास्टिक सर्जरी, नेफ्रोलॉजी, मेडिसिन, सर्जरी, आर्थो आदि में से किसी पोस्ट ग्रेजुएशन और उसके बाद रिसर्च करके अपना ज्ञान और बढ़ाना चाहिए। इसका लाभ प्रोफेशन में लगातार मिल सकता है।
डॉक्टर के रूप में कामयाबी के लिए किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
डॉक्टर के रूप में लगातार आगे बढऩे के लिए खुद को अप-टू-डेट रखने की जरूरत होती है। ऐसा इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि आज मेडिकल साइंस में हर दिन नई-नई टेक्नोलॉजी सामने आ रही है। सही डाइग्नोसिस एवं ट्रीटमेंट के लिए भी यह बहुत आवश्यक है।
मेडिकल की पढ़ाई के लिए संस्थान का चयन कितना महत्वपूर्ण होता है?
एआईपीएमटी में स्टूडेंट की रैंकिंग के आधार पर मेडिकल कॉलेज एलॉट किया जाता है। प्रतिष्ठित एवं सुविधा संपन्न संस्थानों से पढ़ाई करना सदा लाभप्रद होता है। हां, अगर विकल्प मांगा जाता है, तो होम स्टेट के मेडिकल कॉलेज को प्राथमिकता देनी चाहिए। इससे भाषा या इससे संबंधित रीजनल समस्याएं सामने नहीं आतीं। इसके अलावा, वहां काम करना भी आसान होता है।
आज एक डॉक्टर के रूप में प्रैक्टिस आरंभ करने पर आरंभिक कमाई कितनी हो सकती है?
अगर कोई डॉक्टर ईमानदारी और सेवा भाव से प्रैक्टिस करता है, तो वह आरंभ में 25-30 हजार रुपये आसानी से कमा सकता है। छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद केंद्र सरकार के अस्पतालों में अब डॉक्टर का आरंभिक वेतन 55-60 हजार रुपये तक पहुंच गया है।
www.aipmt.inc.inhjdkhfkjdhkjdhkjdhkjdhh
दुनिया में चिकित्सा की तमाम पद्धतियां लोकप्रिय हैं, लेकिन इनमें से जो पद्धति सबसे ज्यादा पॉपुलर है-वह है एलोपैथिक मेडिसिन। एलोपैथिक आधुनिक चिकित्सा प्रणाली है। यह चिकित्सा की सबसे वैज्ञानिक विधि है, जिसके अंतर्गत विभिन्न उपकरणों की सहायता से रोगी की जांच कर किसी परिणाम पर पहुंचा जाता है और उसके उपरान्त इलाज आरंभ किया जाता है। जरूरी होने पर आधुनिक उपकरणों की सहायता से सर्जरी यानी शल्य चिकित्सा की जाती है। इस विधि में दो तरह के डॉक्टर होते हैं-एक फिजिशियन और दूसरा सर्जन। फिजिशियन जहां रोग के बारे में विभिन्न दवाइयां लिखकर परामर्श देते हैं, वहीं सर्जन ऑपरेशन को अंजाम देते हैं।
भारत सहित दुनिया के तमाम देशों में युवाओं में डॉक्टर बनने का क्रेज है। एलोपैथिक डॉक्टर बनने के लिए बारहवीं-बॉयोलॉजी के बाद एमबीबीएस यानी बैचलर ऑफ मेडिसिन एवं बैचलर ऑफ सर्जरी की पढ़ाई करनी होती है। सामान्यत: एमबीबीएस का कोर्स साढ़े चार वर्ष की अवधि का होता है। इसके सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद अनिवार्य रूप से किसी मेडिकल कॉलेज में एक साल की इंटर्नशिप भी करनी होती है। इस तरह एमबीबीएस का कोर्स कुल साढ़े पांच साल में पूरा होता है। कोर्स सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद एमसीआई यानी मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा क्वालिफाइड डॉक्टर के रूप में एमबीबीएस की डिग्री प्रदान कर दी जाती है। इसके बाद स्टूडेंट चाहें, तो सीधे प्रैक्टिस आरंभ कर सकता है या फिर अपनी रुचि और योग्यता के अनुसार एमडी, एमएस के रूप में पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स तथा उसके बाद रिसर्च कर सकते हैं। रिसर्च करने के बाद वे किसी मेडिकल कॉलेज या रिसर्च संस्थान में प्रैक्टिस के साथ-साथ टीचिंग का काम भी कर सकते हैं।
मेडिकल में प्रवेश के लिए एंट्रेंस
एलोपैथिक चिकित्सा में एमबीबीएस में एडमिशन के लिए अखिल भारतीय स्तर और राज्य स्तर पर कई परीक्षाएं ली जाती हैं। आल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज यानी एम्स जैसे बड़े और ख्यातिप्राप्त संस्थान सीधे प्रवेश परीक्षा आयोजित करते हैं। वैसे, अखिल भारतीय स्तर पर सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन यानी सीबीएसई द्वारा हर साल आयोजित की जानी वाली एआईपीएमटी यानी आल इंडिया प्री-मेडिकल, प्री-डेंटल टेस्ट सबसे प्रमुख परीक्षा है। इसमें फिजिक्स, केमिस्ट्री तथा बॉयोलॉजी विषयों से बारहवीं उत्तीर्ण युवा सम्मिलित हो सकते हैं। जो युवा इस वर्ष बारहवीं की परीक्षा में शामिल हो रहे हैं, वे भी इसमें बैठ सकते हैं-लेकिन एंट्रेंस क्लियर करने के बाद एमबीबीएस में अंतिम रूप से प्रवेश तभी मिलेगा, जब वे बारहवीं उत्तीर्ण कर लेंगे। एआईपीएमटी के अलावा कुछ अन्य मेडिकल एंट्रेंस आयोजित करने वाले प्रमुख संस्थानों के नाम इस प्रकार हैं :
* आल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज
* उत्तर प्रदेश कम्बाइंड प्री-मेडिकल टेस्ट (सीपीएमटी)
* गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी-दिल्ली
* वर्धा मेडिकल कॉलेज-वर्धा, आम्र्ड फोर्स-पुणे।
एआईपीएमटी परीक्षा
सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) द्वारा एआईपीएमटी की प्रारंभिक या स्क्रीनिंग परीक्षा आमतौर पर अप्रैल माह में आयोजित की जाती है। इसे उत्तीर्ण करने के वाले स्टूडेंट्स ही फाइनल परीक्षा में बैठ सकते हैं। इसमें प्राप्त रैंकिंग के आधार पर अभ्यर्थियों को काउंसिलिंग के लिए आमंत्रित किया जाता है और उन्हें उनकी रैंकिंग के आधार पर कॉलेज अलॉट किए जाते हैं। इस परीक्षा में शामिल होने के लिए अभ्यर्थी को कम से कम 50 प्रतिशत अंकों के साथ बारहवीं उत्तीर्ण होना चाहिए।
इसके अलावा, उसे अंग्रेजी की भी जानकारी होनी चाहिए। इस परीक्षा में सम्मिलित हो रहे अभ्यर्थियों की अधिकतम उम्र 25 साल से अधिक नहीं होनी चाहिए। अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित उम्मीदवारों के लिए अधिकतम उम्र सीमा में पांच साल की छूट का प्रावधान है। हालांकि किसी भी वर्ग से संबंधित अभ्यर्थी एआईपीएमटी में केवल तीन बार ही सम्मिलित हो सकते हैं।
प्रवेश परीक्षा का स्वरूप
एआईपीएमटी के प्रीलिमिनरी एग्जामिनेशन में ऑब्जेक्टिव टाइप के लगभग 100 प्रश्न पूछे जाते हैं। यह परीक्षा कुल तीन घंटे की होती है और इसमें फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी पर आधारित प्रश्न पूछे जाएंगे। यह एक तरह से स्क्रीनिंग परीक्षा होती है, जिसका उद्देश्य बहुत भारी तादाद में सम्मिलित हुए अभ्यर्थियों में से अगंभीर स्टूडेंट्स की छंटनी करना होता है। इस परीक्षा में सर्वाधिक अंक पाने वाले और मेरिट में स्थान बनाने वाले अभ्यर्थियों को फाइनल परीक्षा में सम्मिलित होने का मौका मिलता है। फाइनल परीक्षा में दो-दो घंटे के दो प्रश्नपत्र होते हैं। पहले पेपर में फिजिक्स एवं केमिस्ट्री विषयों पर आधारित प्रश्न पूछे जाते हैं, जबकि दूसरे पेपर में बायोलॉजी (जूलॉजी एवं बॉटनी से भी) पर आधारित प्रश्न पूछे जाते हैं।
फंडामेंटल्स रखें क्लियर
चंूकि एआईपीएमटी के पेपर दसवीं और बारहवीं के सिलेबस पर ही आधरित होते हैं, इसलिए जिन स्टूडेंट्स ने अपने सिलेबस को अच्छी तरह से कवर किया होगा, उनके लिए यह परीक्षा कोई मुश्किल नहीं है। बारहवीं के तीनों विषयों के फंडामेंटल्स को अच्छी तरह समझें और उनके एप्लीकेशंस पर ध्यान दें।
सैंपल पेपर व अनसॉल्व्ड की लें मदद
बोर्ड परीक्षा खत्म होते ही एआईपीएमटी के पिछले वर्षों के प्रश्नों का गंभीरता से अवलोकन करें और उनकी प्रकृति को समझने की कोशिश करें। इससे आपकी तैयारी को सही दिशा मिल सकती है। इसके अलावा, अधिक से अधिक सैंपल पेपर को भी निर्धारित अवधि में हल करने का प्रयास करें। इसका मूल्यांकन कराएं और कमजोरियों को पहचान कर उन्हें दूर करने का प्रयत्न करें। आवश्यकता महसूस होने पर किसी अच्छे कोचिंग संस्थान से भी मार्गदर्शन हासिल कर सकते हैं। इससे आपको सही दिशा में तैयारी करने में मदद मिलेगी।
प्रैक्टिस करें ऑब्जेक्टिव प्रश्नों की
नई दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल और आरके हॉस्पिटल में वरिष्ठ कंसल्टेंट डॉ. के.बी. तिवारी (एमबीबीएस, डी आर्थो.) से बातचीत
एआईपीएमटी को उत्तीर्ण करने के लिए स्टूडेंट्स को क्या करना चाहिए?
एआईपीएमटी का बैकग्राउंड पूरी तरह से 102 के फंडामेंटल्स पर ही आधारित है। ऐसी स्थिति में इस बारहवीं के सिलेबस की बुनियादी बातों पर अपनी मजबूत पकड़ बनाएं। इसके अलावा, ऑब्जेक्टिव टेस्ट होने के कारण ऐसे प्रश्नों की जमकर प्रैक्टिस करनी चाहिए। पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों के आधार पर सिलेबस के उन हिस्सों की पहचान करें, जिससे ज्यादा प्रश्न पूछे जाते हैं।
एआईपीएमटी के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री एवं बायोलॉजी की तैयारी के लिए क्या मंत्र बताएंगे?
तैयारी के लिए कोई जादुई मंत्र नहीं है। इसके लिए स्टूडेंट को ही जमकर मेहनत करनी होगी और वह भी सही गाइडेंस के साथ सही दिशा में। मेरे ख्याल से फिजिक्स में ज्यादा से ज्यादा फार्मूले तैयार करने चाहिए। इसमें न्यूमेरिकल्स की एक किताब दस दिन में कम्पलीट कर लेनी चाहिए। केमिस्ट्री की तैयारी टेबलर फॉर्म में करें और उसे लगातार रिवाइज करते रहें। सामान्यतया बायोलॉजी के स्टूडेंट फिजिक्स के प्रति लापरवाही बरतते हैं, इससे उन्हें बचना चाहिए और फिजिक्स पर भी पूरा ध्यान देना चाहिए।
एमबीबीएस के बाद किसी खास फील्ड में स्पेशलाइजेशन एवं रिसर्च कितना महत्वपूर्ण होता है?
देखिए, अब सिंपल एमबीबीएस का जमाना नहीं है। अगर इस फील्ड में आगे निकलना है, तो एमबीबीएस करने के बाद अपनी रुचि के क्षेत्रों, जैसे-प्लास्टिक सर्जरी, नेफ्रोलॉजी, मेडिसिन, सर्जरी, आर्थो आदि में से किसी पोस्ट ग्रेजुएशन और उसके बाद रिसर्च करके अपना ज्ञान और बढ़ाना चाहिए। इसका लाभ प्रोफेशन में लगातार मिल सकता है।
डॉक्टर के रूप में कामयाबी के लिए किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
डॉक्टर के रूप में लगातार आगे बढऩे के लिए खुद को अप-टू-डेट रखने की जरूरत होती है। ऐसा इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि आज मेडिकल साइंस में हर दिन नई-नई टेक्नोलॉजी सामने आ रही है। सही डाइग्नोसिस एवं ट्रीटमेंट के लिए भी यह बहुत आवश्यक है।
मेडिकल की पढ़ाई के लिए संस्थान का चयन कितना महत्वपूर्ण होता है?
एआईपीएमटी में स्टूडेंट की रैंकिंग के आधार पर मेडिकल कॉलेज एलॉट किया जाता है। प्रतिष्ठित एवं सुविधा संपन्न संस्थानों से पढ़ाई करना सदा लाभप्रद होता है। हां, अगर विकल्प मांगा जाता है, तो होम स्टेट के मेडिकल कॉलेज को प्राथमिकता देनी चाहिए। इससे भाषा या इससे संबंधित रीजनल समस्याएं सामने नहीं आतीं। इसके अलावा, वहां काम करना भी आसान होता है।
आज एक डॉक्टर के रूप में प्रैक्टिस आरंभ करने पर आरंभिक कमाई कितनी हो सकती है?
अगर कोई डॉक्टर ईमानदारी और सेवा भाव से प्रैक्टिस करता है, तो वह आरंभ में 25-30 हजार रुपये आसानी से कमा सकता है। छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद केंद्र सरकार के अस्पतालों में अब डॉक्टर का आरंभिक वेतन 55-60 हजार रुपये तक पहुंच गया है।
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